राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्ष ने लाया अविश्वास प्रस्ताव
राज्यसभा (Rajya Sabha) में जारी टकराव के बीच विपक्ष की तरफ से सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. कांग्रेस पार्टी की तरफ से पहले ही दावा किया गया था कि अविश्वास प्रस्ताव के लिए जरूरी संख्या उनके पास है. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन (Ranjeet Ranjan) ने मंगलवार को एनडीटीवी के साथ बात करते हुए कहा था कि कांग्रेस पार्टी को उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए जरूरी आंकड़ें हैं. उन्होंने कहा था कि हमारे पास बहस की मांग करने के लिए पर्याप्त से अधिक सांसदों का समर्थन है. रंजन ने कहा कि (प्रस्ताव पेश करने के लिए) 50 हस्ताक्षरों की आवश्यकता है, लेकिन हमें 70 मिले हैं.
उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की क्या प्रक्रिया है?
उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए किसी भी सदन (राज्यसभा या लोकसभा) के सदस्यों का कम से कम 14 दिन का लिखित नोटिस देना अनिवार्य है. इस नोटिस में उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए स्पष्ट कारण होने चाहिए.
- इस प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान संसद के दोनों सदनों में किया जाता है.
- प्रस्ताव पास होने के लिए दोनों सदनों में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है.
- इस दौरान उपराष्ट्रपति को अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया जाता है.
- यदि प्रस्ताव दोनों सदनों में विशेष बहुमत से पारित हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटा दिया जाता है.
विपक्ष ने लगाया पक्षपाती व्यवहार का आरोप
विपक्ष ने सभापति के खिलाफ अचानक अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही के संचालन में उनके कथित पक्षपाती व्यवहार को लेकर किया. कांग्रेस तथा टीएमसी के राज्यसभा के दो वरिष्ठ सांसदों ने कहा कि धनखड़ सदन को सत्तापक्ष का औजार बना रहे हैं. और विपक्षी सांसदों को मुद्दे उठाने देना तो दूर उनकी बातों को भी रिकॉर्ड से बाहर कर दे रहे हैं. विपक्ष की तरफ से लगातार सभापति पर पक्षपात के आरोप लगाए जाते रहे हैं.
विभिन्न मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के हंगामे के कारण मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही आरंभ होने के कुछ ही देर बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. सुबह 11 बजे बैठक आरंभ होने पर सदन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा की सदस्य महुआ माझी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं. इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने पूर्व विदेश मंत्री एस एम कृष्णा के निधन का उल्लेख किया और उनके योगदान को याद किया. सदस्यों ने कुछ देर मौन खड़े होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
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