एक्सपर्ट ने बताया क्यों बच्चे को फोन के सामने नहीं खिलाना चाहिए खाना, इतना बुरा हो सकता है प्रभाव
Parenting: आजकल मोबाइल फोन बड़ों ही नहीं बल्कि बच्चों की जिदंगी का भी हिस्सा बन गया है. बच्चों को सोने के लिए, जागने के तुरंत बाद, कुछ खाने-पीने के लिए या फिर अपने मनोरंजन के लिए भी फोन की जरूरत होती है. ज्यादातर परेशानी तब आती है जब बच्चा खाना खाने के लिए रोने लगता है और तबतक मुंह में निवाला नहीं डालता जबतक कि फोन की स्क्रीन (Mobile Screen) उसके सामने ना आ जाए. लेकिन, यह बच्चे की आदत बन जाती है और माता-पिता की मजबूरी भी. इसपर एजुकेशनल कंसल्टेंट डॉ. मधुमिता एझिल ने बताया कि बच्चे को फोन की स्क्रीन के सामने बिठाकर खाना खिलाना बच्चे की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है. जानिए एक्सपर्ट किन खतरों से अवगत करा रही हैं.
फोन की स्क्रीन के सामने बच्चे को खाना क्यों नहीं खिलाना चाहिए
एक्सपर्ट ने अपने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट किया जिसमें वे एक बच्चे को दिखा रही हैं. बच्ची फोन के सामने बैठकर खा रही है और मां ने उसे खाने के टुकड़े पर ढेर सारा नींबू का रस निचोड़कर खाने के लिए दिया है. जब बच्ची इस नींबू वाले निवाले को मुंह में रखती है तो एकदम से उसके हाव-भाव बदल जाते हैं लेकिन उसकी आंखे अब भी फोन में गढ़ी हुई नजर आती हैं. इसके बाद बच्ची की एक आंख फड़फड़ाने लगती है और खुद ही बंद हो जाती है, फिर भी उसकी दूसरी आंख फोन की स्क्रीन से हटने का नाम नहीं ले रही.
इसपर एक्सपर्ट बताती हैं कि जब खाना खाते समय बच्चे के सामने स्क्रीन रख दी जाती है तो बच्चे अपने शरीर से ट्यूनिंग नहीं बिठा पाते और शरीर में क्या हो रहा है उसपर उनका ध्यान नहीं जाता. बच्चे अपने शरीर को सुन सकें और कितनी भूख लगी है या कितना खाना है यह समझ सकें इसके लिए बच्चे के सामने से स्क्रीन हटा देनी चाहिए और बिना स्क्रीन के उसे खाना खाने के लिए देना चाहिए.
बच्चे की फोन के सामने बैठकर खाने की आदत को दूर करने को लेकर एक्सपर्ट (Expert) कुछ बातों को ध्यान में रखने की सलाह देती हैं.
टीवी को चुनें
एक्सपर्ट का कहना है कि बच्चे को फोन के सामने बिठाकर खिलाने के बजाए उसे टीवी के सामने खिलाया जा सकता है क्योंकि टीवी (TV) कम एडिक्टिव होता है और टीवी कम इंट्रैक्टिव है. साथ ही पैरेंट्स मोबाइल और टैबलेट्स से बेहतर टीवी को मैनेज करना है.
कुकिंग का बनाएं हिस्सा
बच्चे की रसोई में खाना बनाते हुए कुछ छोटे-मोटे कामों में मदद ली जा सकती है. बच्चे सलाद को मिलाना, स्मूदी मिलाने या चटनी मिक्स करने जैसी चीजों में मदद कर सकते हैं. इसके बाद जब खुद जिन चीजों को बनाने में मदद की है उसे वह चाव से खा भी सकेगा.
खाना खाना बनाएं मजेदार
खाना खाना बच्चे के लिए मजेदार हो इसके लिए अलग तरह के सुंदर चम्मच या प्लेट ला जा सकती हैं. बच्चे के साथ बैठकर खाएं और बातें करें जिससे उसे खाना खाने में मजा आए.
अकेले खाना भी सिखाएं
बच्चे को अकेले खाना खाना भी सिखाएं बिना किसी स्क्रीन के. ऐसे बच्चे टेक्सचर और प्लेवर्स को समझ पाते हैं.
बिना स्क्रीन वाले डिस्ट्रेक्शन चुनें
बच्चे का मन बहलाने के लिए से खिलौने, मैट्स, कलरिंग बुक, या खिलौने वाली कार वगैरह दी जानी चाहिए.
धीरे-धीरे टीवी का समय करें कम
टीवी देखने के समय को धीरे-धीरे कम करना शुरू करें. 2 मिनट का समय कम करने से शुरूआत करें और स्क्रीन टाइम कम करते जाएं.
करें तारीफ और कंसिस्टेंट रहें
बच्चा स्क्रीन देखे बिना अगर खाना खा लेता है तो उसकी तारीफ करना ना भूलें. आपने अगर सोचा है कि बच्चे को फोन नहीं पकड़ाएंगे तो अपनी बात पर कायम रहें और उसे फोन ना दें चाहे बच्चा रोना-पीटना करे या फिर जिद्द करने लगे.
बच्चे की भूख का सहारा लें
अगर बच्चा जिद के कारण एक मील नहीं भी लेता है तो उसे जबरदस्ती ना खिलाएं बल्कि दोबारा जब उसे भूख लगे और वह बिना स्क्रीन के लिए खाने के लिए तैयार हो जाए तब उसे खाना दें. छोटी भूख में बच्चा जिद कर सकता है लेकिन गहरी भूख में वह खाना बिना स्क्रीन के खा लेगा.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.