PPF vs SSA – अगर बेटी है घर में, तो समान निवेश पर भी रिटर्न हो सकता है ढाई गुना से ज़्यादा
भारत सरकार की इंडिया पोस्ट के ज़रिये चलाई जाने वाली छोटी बचत योजनाओं (India Post Small Savings Schemes) में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय बचत योजनाएं हैं सुकन्या समृद्धि योजना (SSA या Sukanya Samriddhi Yojana) तथा लोक भविष्य निधि, यानी पब्लिक प्रॉविडेंट फ़ंड (PPF या Public Provident Fund) योजना. दोनों ही योजनाएं अच्छे रिटर्न देकर अनुशासित निवेश को बढ़ावा देती हैं, और निवेश और निवेश अवधि जैसी समानताओं के अतिरिक्त भी इन दोनों योजनाओं में कुछ समानताएं हैं. इसके अतिरिक्त, आज जो जानकारी हम देना चाहते हैं, वह यह है कि 10 साल से कम आयु की बेटी के लिए खोले जाने वाले सुकन्या समृद्धि योजना खाते में समान अवधि में समान राशि निवेश कर भी आप ढाई गुना से ज़्यादा रिटर्न हासिल कर सकते हैं.
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PPF और SSA में निवेश होगा बराबर…
देश के किसी भी डाकघर (Post Office) या बैंक में शुरू की जा सकने वाली इन दोनों योजनाओं के ज़रिये आप नियमित रूप से निश्चित निवेश कर बड़ा फ़ंड हासिल कर सकते हैं, और इसके लिए रिटायरमेंट तक का इंतज़ार करना भी ज़रूरी नहीं होता. PPF और SSA, दोनों में ही निवेश 15 साल तक करना होता है, और निवेश की सालाना अधिकतम सीमा भी एक जैसी, यानी ₹1,50,000 ही है. सो, अगर आप नियमित रूप से 15 साल तक अधिकतम निवेश करते हैं, तो दोनों ही योजनाओं में कुल निवेश ₹22,50,000 हो सकता है.
PPF व SSA में निवेश की सुरक्षा की गारंटी देती है भारत सरकार…
भारत सरकार की गारंटी से युक्त छोटी बचत योजनाओं में शामिल PPF और SSA में निवेश की सुरक्षा को लेकर कतई तनाव नहीं हो सकता, और निश्चित आय योजना वाली इन दोनों स्कीमों में केंद्र सरकार द्वारा हर तिमाही तय किए जाने वाली ब्याज दर के अनुरूप ब्याज अदा किया जाता है. मौजूदा समय में PPF खाते पर 7.1 फ़ीसदी सालाना तथा SSA खाते पर 8.2 फ़ीसदी सालाना ब्याज अदा किया जा रहा है.
EEE कैटेगरी की योजनाएं हैं PPF और SSA…
PPF और SSA, दोनों ही योजनाओं में निवेश पर हर साल इनकम टैक्स में बचत होती है, हर साल खाते में जमा होने वाला ब्याज टैक्सेबल, यानी करयोग्य नहीं होता, और अंत में मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम पर भी किसी प्रकार का कोई टैक्स नहीं देना पड़ता – यानी दोनों योजनाएं EEE कैटेगरी की योजनाएं हैं.
PPF और SSA में सिर्फ़ मैच्योरिटी का है फ़र्क…
दोनों छोटी बचत योजनाएं दीर्घावधि निवेश को बढ़ावा देती हैं, और भविष्य की ज़रूरतों के लिए अच्छा-खासा फ़ंड तैयार कर देती हैं. PPF और SSA में प्रतिवर्ष अधिकतम ₹1,50,000 का निवेश किया जा सकता है, और दोनों ही में लगातार 15 साल तक निवेश करना होता है. वैसे, दोनों योजनाओं में निवेश मासिक आधार पर भी किया जा सकता है, लेकिन उस स्थिति में हासिल ब्याज कुछ कम हो जाता है. बस, अंतर इतना है कि PPF में 15 साल तक निवेश करने के बाद मैच्योरिटी भी 15 साल में ही हो जाती है, लेकिन SSA में 15 साल तक निवेश करने के बाद छह साल प्रतीक्षा करनी पड़ती है, क्योंकि मैच्योरिटी 21 साल में होती है.
मैच्योरिटी देर से होने पर मिलता है कम्पाउंडिंग का लाभ…
परन्तु इन छह सालों में ही आपका फ़ंड बेहद तेज़ी से बढ़ता है, क्योंकि न सिर्फ़ छह साल तक कम्पाउंडिंग ब्याज की आय होती रहती है, बल्कि SSA में ब्याज भी PPF की तुलना में ज़्यादा मिलता है. अब आप देखें – PPF खाते में 15 साल तक लगातार निवेश कर आपने ₹22,50,000 जमा किए, जिन पर मैच्योरिटी के वक्त आपको कुल ₹18,18,209 ब्याज के तौर पर हासिल होंगे, जबकि SSA में भी 15 साल तक लगातार निवेश कर ₹22,50,000 ही जमा किए जाएंगे, लेकिन मैच्योरिटी 21 साल पर होने की वजह से और ब्याज दर 8.2 फ़ीसदी होने के चलते मैच्योरिटी के वक्त ब्याज के तौर पर कुल ₹49,32,119 हासिल होंगे, जो PPF के ब्याज की तुलना में ढाई गुना से भी ज़्यादा है.