गणेश चतुर्थी पर करना चाहते हैं गणपति भगवान के दर्शन तो इन 4 मंदिर में चले जाइए, यहां होता है भव्य समारोह
Ganesh Chaturthi 2024 date: गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी या गणेश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है. यह त्योहार उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, गुजरात और कर्नाटक जैसे कई राज्यों में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल, यह त्योहार दस दिनों तक चलेगा, जो 6 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर को समाप्त होगा. हिंदू गणेश उत्सव (Ganesh Chaturthi) को भगवान गणेश के जन्म के रूप में मनाते हैं. उन्हें ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है. गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi Puja muhurat) को घर और घर के बाहर गणेश की मिट्टी की मूर्तियों की स्थापना करके मनाया जाता है. अंत में मूर्ति को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन समुद्र या नदी में विसर्जित किया जाता है.
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गणेश चतुर्थी पर जाने के लिए प्रसिद्ध मंदिरों की लिस्ट
- लबागलाचा राजा: पुणे में स्थित इस मंदिर में गणेश चतुर्थी पर बहुत भीड़ होती है. इस मंदिर में गणेश की मूर्ति का विशाल आकार और इसे बनाने की अद्भुत कला काफी मशहूर है. इसे आमतौर पर बहुमूल्य आभूषणों से सजाया जाता है.
- सिद्धिविनायक मंदिर: मुंबई के प्रभादेवी में स्थित सिद्धिविनायक मंदिर देश के सबसे प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में से एक है. इस मंदिर में अक्सर मशहूर हस्तियां भगवान गणेश से आशीर्वाद लेने आते हैं.
- दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर: पुणे के पास स्थित इस प्रसिद्ध मंदिर में भगवान गणेश की 7.5 फीट लंबी मूर्ति है, जिसकी चौड़ाई 4 फीट है. भगवान से आशीर्वाद लेने के लिए कई मशहूर हस्तियां और राजनेता मंदिर आते हैं. गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति को सोने के आभूषण पहनाए जाते हैं.
- खजराना गणेश मंदिर: यह मंदिर मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित है. भगवान गणेश की मूर्ति बनाने के लिए ईंट, गुड़, चूना पत्थर, मिट्टी, पानी और अन्य कच्चे माल का इस्तेमाल किया गया है. मंदिर का द्वार और बाहरी दीवार चांदी से बनी है, जिसमें कई तरह के उत्सवों के बारे में बताया गया है. भगवान की आंखें हीरे से बनी हैं, जबकि मंदिर की ऊपरी दीवार चांदी से बनी है.
गणेश चतुर्थी की पूजा विधि
– सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
– भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें और पूजा की तैयारी करें.
– पूजा के दौरान, भगवान गणेश को मोदक, लड्डू और अन्य मिठाइयां चढ़ाएं.
– पूजा के बाद, आरती करें और प्रसाद वितरित करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)