शिक्षित महिला को जमानत मिलनी ही नहीं चाहिए?… कविता को बेल देते हुए SC ने ASG को लगाई फटकार, जानें कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
दिल्ली के शराब नीति केस (Delhi Liquor Policy Case) में तेलंगाना के पूर्व सीएम केसीआर की बेटी और भारत राष्ट्र समिति (BRS) की नेता के. कविता (K Kavitha)को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से मंगलवार को जमानत मिल गई. अदालत ने कविता की जमानत याचिका मंजूर करते हुए कहा कि इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है. ट्रायल के जल्द पूरा होने की उम्मीद नहीं है. के कविता 5 महीने से जेल में बंद हैं. महिला होने के नाते उन्हें PMLA के सेक्शन 45 के तहत बेल मिलनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि अंडर ट्रायल कस्टडी को सजा में नहीं बदलना चाहिए.
दिल्ली के शराब नीति केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने के. कविता को 15 मार्च को हैदराबाद से गिरफ्तार किया था.11 अप्रैल को इसी केस में CBI ने उन्हें कस्टडी में ले लिया. सुप्रीम कोर्ट ने कविता को CBI और ED दोनों केस में बेल दे दी है. आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट ने के कविता को बेल देते हुए क्या-क्या टिपप्णी की, जिसे न्यायिक व्यवस्था के लिए बेहद अहम माना जा रहा है:-
ED ने 15 मार्च 2024 को कविता को हैदराबाद से गिरफ्तार किया था. कविता 1 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत के लिए गई थीं. तब हाईकोर्ट ने कहा था कि कविता मुख्य आरोपी हैं. जांच अभी अहम मोड़ पर है. अभी जमानत नहीं दी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में दिल्ली हाईकोर्ट के उस कमेंट का भी जिक्र किया, जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि एक उच्च शिक्षित महिला सेक्शन 41 के तहत स्पेशल ट्रीटमेंट की हकदार नहीं होनी चाहिए.
कोर्ट ने कहा- केस की जल्द ट्रायल होने की उम्मीद नहीं
अदालत ने कहा, “इस केस में 493 गवाह और 50000 दस्तावेज हैं. जल्द ट्रायल पूरा होने की उम्मीद नहीं है. इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है. कानून में महिलाओं के लिए जमानत पर विचार करते हुए विशेष बर्ताव का प्रावधान है. हाईकोर्ट का जमानत ना देने का फैसला रद्द करते हैं.”
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शीर्ष अदालत ने कहा, “हाईकोर्ट के काबिल जज के आदेश के बाद ऐसी धारणा बन गई कि किसी शिक्षित महिला को जमानत मिलनी ही नहीं चाहिए. ये कैसी निष्पक्षता है? हमारी राय इसके उलट है. हमें एक महिला सांसद और आम महिला में अंतर नहीं करना चाहिए.”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “कानूनी प्रावधान महिलाओं समेत कुछ श्रेणी के आरोपियों को धारा 45 के तहत दोहरी आवश्यकता को पूरा किए बिना जमानत पर रिहा करने की अनुमति देता है.” शीर्ष अदालत ने कहा, “ऐसा कोई सामान्य नियम नहीं है कि शिक्षित और परिष्कृत महिला को जमानत नहीं दी जा सकती. या उसे MP/MLA जैसा विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता. यह सब केस दर केस आधार पर निर्भर करता है.”
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की दो जजों की बेंच ने कहा कि संघीय एजेंसियां सिर्फ उन पूर्व आरोपियों के बयानों पर भरोसा नहीं कर सकतीं, जो ‘सरकारी गवाह’ बन गए हैं. या अभियोजन पक्ष के गवाह बन गए हैं. आपको निष्पक्ष रहना होगा… एक व्यक्ति जो खुद को दोषी ठहराता है उसे गवाह बनाया गया है? आप चुनाव नहीं कर सकते… यह कैसी निष्पक्षता है? अदालत इसका जवाब जानना चाहती हैं.”
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने दी ये दलीलें
के कविता के मामले में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा, “पूर्व आरोपियों बुच्ची बाबू और राघव मगुंटा रेड्डी ने स्वतंत्र साक्ष्य का हवाला है. बुच्ची बाबू पिछले साल अप्रैल में और राघव मगुंटा रेड्डी इस साल मार्च में सरकारी गवाह बन गए.”
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के. कविता की ओर से पेश सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने बताया कि उन्हीं व्यक्तियों के दिए गए कई बयानों को संबंधित मामलों में सबूत के रूप में पेश किया गया था. खासतौर पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के मामले में.”
रोहतगी ने ASG से कहा, “आप कहते हैं कि केजरीवाल किंगपिन हैं…कहते हैं दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया किंगपिन हैं…फिर कहते हैं कि के कविता किंगपिन हैं. लेकिन आपके पास आरोपियों के बयानों के अलावा कोई सबूत नहीं है!”
फोन फॉर्मेट करना क्राइम नहीं-SC
इस पर जस्टिस गवई ने ASG से पूछा-“क्या सबूत हैं कि कविता अपराध में शामिल थीं, क्योंकि मोबाइल फोन फॉर्मेट करना क्राइम नहीं है. जस्टिस विश्वनाथन ने पूछा- मैसेज डिलीट करना नेगेटिव सबूत है. क्या यह सबूतों से छेड़छाड़ करना है? हम तो मैसेज भी डिलीट करते हैं. इसपर ASG ने कहा, “CDR से पता चलता है कि वह अन्य आरोपियों के संपर्क में थीं.” सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “फोन फॉर्मेट करना और सबूत मिटाना दोनों अलग-अलग बाते हैं. आप साबित करिए कि उन्होंने सबूत मिटाए हैं. ASG राजू ने जवाब दिया- “CDR से पता चला है कि आरोपियों से फोनपर बात की गई है.”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “मोबाइल एक पर्सनल चीज है. लोगों को मैसेज डिलीट करने की आदत होती है. मुझे भी मैसेज डिलीट करने की आदत है. स्कूल और कॉलेज ग्रुप के इतने मैसेज होते हैं.” जस्टिस विश्वनाथन ने ASG से कहा- “आपको ये दिखाना होगा कि कविता ने जानबूझकर फोन फार्मेट किया.” ASG राजू ने कहा- “लेकिन ये सब जमानत आधार नहीं हो सकता. कविता का व्यवहार सबूतों से छेड़छाड़ करने और गवाहों को धमकाने जैसा रहा है.
इस पर के कविता के वकील रोहतगी ने कहा, “हम सिसोदिया मामले की तरह जमानत चाहते हैं. इस केस में अदालत ने कहा था कि जमानत नियम है, जेल अपवाद है. साथ ही ट्रायल में देरी भी हुई. महिला होने के कारण उसे उच्च प्राथमिकता देनी चाहिए.”
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कविता कमजोर महिला नहीं
कविता के वकील रोहतगी ने कहा, “वह वर्तमान MLC हैं. इस बात की कोई संभावना नहीं है कि वह न्याय से भागेंगी. हाईकोर्ट ने कहा है कि उन्हें लाभकारी प्रावधान नहीं मिलेगा, क्योंकि वह कमजोर महिला नहीं हैं. साउथ ग्रुप को पैसे भेजने के बारे में किसी तरह की कोई बरामदगी नहीं हुई. आरोप है कि कविता ने गवाह को धमकाया, लेकिन ऐसा कोई मामला नहीं है.” जस्टिस गवई ने पूछा- “क्या कानून कमजोर महिलाओं को अलग तरह से देखता है?” जस्टिस गवई ने हल्के अंदाज में कहा, “आप MLC हैं. इसलिए आपको पता है कि क्या सही है और क्या गलत, आप कमजोर नहीं हैं.
क्या गिरफ्तार की गई हर महिला को जमानत मिलेगी-ASG
ASG ने आपत्ति जताते हुए कहा, “क्या गिरफ्तार की गई हर महिला को जमानत मिलेगी? मेरी आशंका है कि इसका इस्तेमाल दूसरे लोग करेंगे.” इस पर शीर्ष अदालत ने कहा, “आप किसी भी आरोपी को चुन-चुनकर नहीं रख सकते. अगर हम गवाह के बयानों को देखें, तो उसकी भूमिका भी कविता जितनी ही है. अभियोजन पक्ष को निष्पक्ष होना चाहिए.” इस पर ASG ने सवाल किया, “यह निष्पक्षता क्या है? कोई ऐसा व्यक्ति जो गवाह होते हुए भी खुद को दोषी ठहराता है?” SC ने ASG राजू को कहा की जमानत के मामले में इतनी लंबी बहस न करें. अगर ऐसा हुआ तो पूरे दिन में हम केवल दो ही जमानत के मामलों पर सुनवाई कर पाएंगे.
अदालत ने CBI/ED को भी लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि के कविता को तुरंत जमानत पर रिहा किया जाए. हम केस के मेरिट पर कुछ टिप्पणी नहीं कर रहे हैं. कविता ट्रायल में सहयोग करें. सुप्रीम कोर्ट ने CBI/ED को फटकार लगाते हुए कहा, “जांच एजेंसी पिक एंड चूज नही कर सकती. आप किसी को भी आरोपी नहीं बना सकते हैं.”
के. कविता को किन शर्तों पर मिली जमानत
-के कविता को 10-10 लाख रुपये का बेल बॉन्ड भरना होगा.
-उन्हें अपना पासपोर्ट ट्रायल जज के पास सरेंडर करना होगा.
-वो सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगी.
मनीष सिसोदिया के बाद के. कविता को भी सुप्रीम कोर्ट से जमानत, 5 महीने बाद जेल से बाहर आएंगी