CBI के पास गिरफ्तारी के लिए कोई सबूत नहीं था…, SC में अभिषेक मनु सिंघवी की टॉप 12 दलीलें
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. कोर्ट में केजरीवाल की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी दलील पेश कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई उन्हें जेल से बाहर नहीं आने देना चाहती है. सीबीआई के केजरीवाल की गिरफ्तारी के लिए कोई सबूत नहीं थे. सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ED केस में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी जा चुकी है. आपको बता दें कि CBI ने दिल्ली के मुख्यमंत्री (Arvind Kejriwal) को दिल्ली शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया है. अरविंद केजरीवाल को पहले ED ने गिरफ्तार किया. उन्हें उस मामले में बेल मिल गई थी लेकिन फिर बाद में सीबीआई ने भी उन्हें जेल से ही गिरफ्तार कर लिया था. दिल्ली शराब नीति मामले में दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish sisodia) और BRS की नेता के कविता को भी पहले ही जमानत मिल चुकी है. ऐसे में ये देखना बेहद दिलचस्प होगा कि क्या कोर्ट इस मामले में आज सीएम केजरीवाल को बेल देती है या उन्हें इस मामले में आगे भी जेल में ही रहना होगा.
कोर्ट में केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दी ये दलीलें –
- अरविंद केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि FIR के 8 महीने बाद केजरीवाल को पूछताछ के लिए बुलाया गया है. PMLA के तहत दोहरी शर्तों का प्रावधान है. इन सख्त नियमों के बावजूद हमारे पक्ष मे दो फैसले हुए हैं. आज सीबीआई का केस ही अदालत के सामने है.
- मैं आपको बताना चाहता हूं कि इसी साल मार्च में सीबीआई ने नहीं बल्कि ईडी ने गिरफ्तार किया था. इस मामले में सीबीआई ने दो साल बाद केजरीवाल को गिरफ्तार किया है. इस केस में PMLA के कड़े प्रावधान नहीं हैं.
- सिंघवी ने आगे कहा कि कोर्ट के तीन आदेश मेरे पक्ष में हैं. ये एक इंश्यूरेंस अरेस्ट है. गिरफ्तारी इसलिए की गई है ताकि केजरीवाल को जेल में ही रखा जा सके. मैं कोर्ट को बताना चाहता हूं कि ईडी केस में हमें निचजी अदालत ने जमानद दी है. लेकिन हाई कोर्ट ने मौखिक तौर पर मेंशनिंग पर जमानत आदेश पर रोक लगा दी.
- सुप्रीम कोर्ट ने ईडी केस में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी है. कोर्ट ने ही केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए 21 दिनों की अंतरिम जमानत भी दी गई थी.
- सिंघवी ने आगे कहा कि पिछली दफा जब केजरीवाल को जमान दी गई थी तो उस दौरान भी कठोर प्रावधान ही थे. मैं कोर्ट को बताना चाहता हूं कि केजरीवाल कोई खतरा नहीं हैं.
- आज सुप्रीम कोर्ट को बस तीन परीक्षण करने की जरूरत है. पहली बात तो ये देखना चाहिए कि क्या उनके फरार होने का जोखिम है, दूसरा वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेंगे या क्या वह गवाहों को प्रभावित करेंगे.
- अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलील में आगे कहा कि केजरीवाल के खिलाफ सीबीआई के पास कोई नया सबूत नहीं था, सिर्फ जनवरी का एक बयान ही था.
- सीबीआई ने गिरफ्तारी का एकमात्र आधार बताया कि केजरीवाल सहयोग नहीं कर रहे हैं. और जवाब देने में टालमटोल कर रहे हैं.
- ईडी मामले में अंतरिम जमानत देते समय सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी गिरफ्तारी के तरीके की आलोचना की थी. उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी मनमाने ढंग से और अधिकारियों की मर्जी के आधार पर नहीं की जा सकती. गिरफ्तारी केवल जांच के उद्देश्य से नहीं की जा सकती.जांच अधिकारियों को गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति को फंसाने वाली सामग्री को चुनिंदा तरीके से चुनने की अनुमति नहीं दी जा सकती. उन्हें अन्य सामग्री पर भी समान रूप से ध्यान देना होगा जो आरोपी को दोषमुक्त करती है.
- अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा है इस तरफ की गिरफ्तारी तब की जाती है जब कोई जांच को प्रभावित कर सके, लेकिन केजरीवाल तो जेल में थे. जब दो वर्षों के जांच के दौरान गिरफ्तार नही किया गया तब अब क्यों किया गया?
- अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बिना किसी आधार के अचानक किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. आप किसी भी तरह से ट्रिगर हैप्पी नहीं हो सकते. इसके लिए सुरक्षा के उपाय होने चाहिए.
- अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सीबीआई ने CRPC की धारा 41ए के तहत जांच और पूछताछ के लिए नोटिस दिया था. यह इस बात का सबूत है कि सीबीआई केजरीवाल को गिरफ्तार नहीं करना चाहती थी.
सिसोदिया को बेल देते समय कोर्ट ने कही थी ये बात
आपको बता दें कि सीएम केजरीवाल के सहयोगी और दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले ही बड़ी राहत देते हुए जमानत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सिसोदिया को जमानत देते हुए निचली अदालतों की आलोचना भी की थी. कोर्ट ने कहा था कि मामले की सुनवाई शुरू हुए बिना लंबे समय तक जेल में रखे जाने से वह शीघ्र सुनवाई के अधिकार से वंचित रहे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तुरंत सुनवाई का अधिकार एक पवित्र अधिकार है. जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि अब समय आ गया है कि निचली अदालतें और हाई कोर्ट इस सिद्धांत को स्वीकार करें कि जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद है.
इस दौरान कोर्ट ने ED को तलख लहजें में जवाब दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम ED की प्रारंभिक आपत्ति को मानने के इच्छुक नहीं कि ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. 17 महीने लंबी कैद और मुकदमा शुरू नहीं होने की वजह से सिसोदिया को सुनवाई के अधिकार से वंचित कर दिया गया है. वर्तमान मामले में, ईडी मामले के साथ-साथ सीबीआई मामले में 493 गवाहों के नाम दिए गए हैं. इस मामले में हजारों पृष्ठों के दस्तावेज़ और एक लाख से अधिक पृष्ठों के डिजिटल दस्तावेज़ शामिल हैं.इस प्रकार यह स्पष्ट है कि निकट भविष्य में मुकदमे के समापन की दूर-दूर तक संभावना नहीं है.
के कविता को भी मिली बेल
दिल्ली शराब नीति मामले में BRS की नेता के कविता को ED ने गिरफ्तार किया था. उन्हें भी कुछ दिन पहले ही कोर्ट से बेल मिल गई है. कोर्ट ने के कविता को जमानत देते कहा था कि इस केस में 493 गवाह और 50000 दस्तावेज हैं. जल्द ट्रायल पूरा होने की उम्मीद नहीं है. इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है. कानून में महिलाओं के लिए जमानत पर विचार करते हुए विशेष बर्ताव का प्रावधान है. हाईकोर्ट का जमानत ना देने का फैसला रद्द करते हैं.
के कविता पर क्या हैं आरोप?
ED का कहना है कि दिल्ली के शराब नीति केस में कविता ने साउथ ग्रुप के साथ मिलकर शराब लाइसेंस के बदले दिल्ली सरकार को 100 करोड़ रुपये के पेमेंट की साजिश रची. साथ ही उन्होंने इंडो स्पिरिट्स में हिस्सेदारी की भी प्लानिंग की थी. 100 करोड़ के बदले इंडो स्पिरिट्स को शराब का थोक लाइसेंस मिला, जिससे 12% के प्रॉफिट के जरिए दिल्ली शराब नीति रद्द होने तक इंडो स्पिरिट्स ने 192.8 करोड़ रुपये का लाभ कमाया.