मानहानि मामले में शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ जमानती वारंट की तामील पर रोक
उच्चतम न्यायालय ने कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा की ओर से दायर मानहानि मामले में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और दो अन्य भाजपा नेताओं को राहत देते हुए उनके खिलाफ जमानती वारंट की तामील पर सोमवार को रोक लगा दी.
न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने मानहानि मामले को रद्द करने से इनकार करने के मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के 25 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देने वाली शिवराज और अन्य भाजपा नेताओं की याचिका पर तन्खा को चार हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
पीठ ने कहा, ‘मानहानि मामले में अदालत के समक्ष जारी कार्यवाही में याचिकाकर्ताओं की प्रभावी भागीदारी की सूरत में उनके खिलाफ जमानती वारंट की तामील नहीं की जाएगी.’
शिवराज और अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि तन्खा की शिकायत में जिन कथित बयानों का जिक्र किया गया है, वे सदन में दिए गए थे और संविधान के अनुच्छेद 194 (2) के दायरे में आते हैं.
अनुच्छेद 194 (2) में कहा गया है, ‘किसी राज्य के विधानमंडल का कोई भी सदस्य विधानमंडल या उसकी किसी समिति में कही गई किसी भी बात या डाले गए वोट के संबंध में किसी भी अदालत में किसी भी कार्यवाही का सामना करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा.’
इसमें यह भी कहा गया है, ‘कोई भी व्यक्ति ऐसे विधानमंडल के सदन द्वारा या उसके अधिकार क्षेत्र के तहत किसी भी रिपोर्ट, दस्तावेज, मतदान या कार्यवाही के प्रकाशन के संबंध में अदालत में किसी भी कार्यवाही का सामना करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा.’
- जेठमलानी ने दलील दी कि ऐसा कभी नहीं सुना गया कि समन से जुड़े मामले में अदालत ने जमानती वारंट जारी किया, जिसमें पक्षकार अपने वकील के माध्यम से पेश हो सकते थे. उन्होंने जमानती वारंट की तामील पर रोक लगाने का अनुरोध किया.
- जेठमलानी ने कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा मानहानिकारक बताए जाने वाले दो बयान 2021 में राज्य में पंचायत चुनावों पर रोक लगाने वाले शीर्ष अदालत के आदेश से जुड़े एक मामले में क्रमशः 22 और 25 दिसंबर को दिए गए थे.
उन्होंने कहा, ”इस अदालत ने (17 दिसंबर, 2021 को) पंचायत चुनाव पर इस आधार पर रोक लगा दी थी कि कोई ‘रोटेशन’ नहीं हुआ था और कोई परिसीमन नहीं किया गया था.” उन्होंने कहा, ओबीसी आरक्षण के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया, जैसा कि तन्खा ने आरोप लगाया है.
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने तन्खा की ओर से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ दायर मानहानि मामले को रद्द करने से 25 अक्टूबर को इनकार कर दिया था.
तन्खा ने सुनवाई अदालत में अपनी शिकायत में कहा था कि 2021 में मध्यप्रदेश में पंचायत चुनावों से पहले मानहानिकारक बयान दिए गए थे.
उन्होंने कहा था कि शीर्ष अदालत के 17 दिसंबर, 2021 के आदेश के बाद भाजपा नेताओं ने यह आरोप लगाया था कि उन्होंने स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी समुदाय के लिए आरक्षण का विरोध किया था, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा.
तन्खा की याचिका में 10 करोड़ रुपये के हर्जाने और भाजपा नेताओं के खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया है.
याचिका में कहा गया है कि भाजपा के तीन पदाधिकारियों ने राजनीतिक लाभ के लिए उनके खिलाफ ‘समन्वित, दुर्भावनापूर्ण, झूठा और अपमानजनक’ अभियान चलाया और उन पर शीर्ष अदालत में पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण का विरोध करने का आरोप लगाया.
जबलपुर की एक विशेष अदालत ने 20 जनवरी 2024 को तीनों भाजपा नेताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 500 के तहत मानहानि का मामला दर्ज कर उन्हें तलब किया था.