युद्ध की तैयारियों के लिए भारतीय सेना ने उत्तर-पूर्वी हिस्से में बनाया फायरिंग रेंज, सीमा को किया मजबूत
भारतीय सेना चीन की सीमा से लगे पूर्वोत्तर के किसी राज्य में फील्ड फायरिंग रेंज हासिल करने के अंतिम चरण में है. इसकी एक वजह यह है कि अयोध्या में नए हवाई अड्डे की स्थापना के कारण उत्तर प्रदेश में इसकी एक फायरिंग रेंज अनुपयोगी हो गई है. फील्ड फायरिंग रेंज नए सैन्यकर्मियों को प्रशिक्षित करने और उन्हें युद्ध के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. भारतीय सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि अयोध्या में हवाई अड्डा बनने के बाद से इस भूमि का उपयोग युद्धाभ्यास, फील्ड और आर्टिलरी फायरिंग के लिए करना सुरक्षित नहीं रहा है.
युद्धाभ्यास के लिए जरूरी है फील्ड फायरिंग रेंज
सेना के अधिकारी ने कहा, “हम अग्रिम क्षेत्र में कुछ फील्ड फायरिंग रेंज अभ्यास स्थल के रूप में हासिल करने की प्रक्रिया में हैं, जिसमें पूर्वी सीमा के अग्रिम राज्यों में से एक राज्य का क्षेत्र शामिल है. हम उस रेंज को हासिल करने की प्रक्रिया के अंतिम चरण में हैं और ऐसी रेंज हमें निश्चित रूप से आगे बढ़ने में मदद करती हैं.” उन्होंने कहा, “सेना को टैंक और आईसीवीएस सहित भारी हथियारों से फायरिंग करने के लिए युद्धाभ्यास रेंज और फील्ड फायरिंग रेंज की बेहद आवश्यकता होती है. हम उपलब्ध रेंज का लाभ उठाना जारी रख रहे हैं. इसके अलावा हमारे देश का विकास भी महत्वपूर्ण है.
अयोध्या हवाई अड्डा बनने के बाद फायरिंग रेंज हुआ बंद
उन्होंने कहा, “अयोध्या में एक रेंज के मामले में, हम सभी जानते हैं कि अयोध्या के रेंज मार्ग में एक नया हवाई अड्डा बना है जो विमानों के उड़ान पथ में स्थित है. इसलिए, हमारे लिए उस रेंज का उपयोग जारी रखना निश्चित रूप से असुरक्षित हो जाएगा. यही वजह है कि हम ऐसी स्थिति में वैकल्पिक अवसर के साथ वैकल्पिक स्थान को देखते हुए अपनी फायरिंग अभ्यास करेंगे”. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इस साल मई में निर्जन ‘माझा जमथरा’ गांव को डी-नोटिफ़ाइड किए जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया था, जो अयोध्या आर्मी कैंट के ठीक बगल में है. यह सेना द्वारा फायरिंग और तोपखाने के अभ्यास के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था. उल्लेखनीय यह भी है कि अयोध्या में डोगरा रेजिमेंटल सेंटर है.
यह गांव का प्रमुख क्षेत्र माना जाता है क्योंकि नवनिर्मित राम मंदिर ‘माझा जमथरा’ गांव से सिर्फ़ 6 किलोमीटर की दूरी पर है. पिछले दिनों कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने अपना बयान जारी करते हुए यह सवाल उठाया था कि “क्या आप जानना चाहते हैं कि धर्म और राष्ट्रवाद की आड़ में वे वास्तव में क्या करते हैं? सेना प्रशिक्षण के लिए बफर ज़ोन के रूप में अधिसूचित भूमि को पहले अडानी, रविशंकर और बाबा रामदेव द्वारा खरीदा जाता है और फिर राज्यपाल द्वारा गैर-अधिसूचित (डी-नोटिफ़ाइड) घोषित किया जाता है.”