ये हैं दुनिया के टॉप-10 खतरनाक देश, आपको चौंकाएंगे ये नाम
दुनिया के कई देश संघर्ष से गुजर रहे हैं. राजनीतिक अस्थिरता और मानवीय संघर्ष का यह दौर इन देशों में रहने वाले करोड़ों लोगों पर भारी पड़ रहा है. इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस के ग्लोबल पीस इंडेक्स (Global Peace Index) ने दुनिया के कई देशों की एक सूची जारी की है. इसके आधार पर हम आपको बता रहे हैं कि 2024 में दुनिया के सबसे खतरनाक देश (World’s Most Dangerous Countries 2024) कौनसे हैं. इन देशों में रहना लोगों के लिए बेहद मुश्किल है. यह देश युद्ध, हिंसा और अशांति से जूझ रहे हैं. इन देशों में यमन, सूडान और दक्षिणी सूडान जैसे देश टॉप-3 में है. हालांकि कुछ देश चौंकाते भी हैं.
ये है दुनिया के सबसे खतरनाक देश
क्रम संख्या | देश | जीपीआई स्कोर |
1 | यमन | 3.397 |
2 | सूडान | 3.327 |
3 | दक्षिणी सूडान | 3.324 |
4 | अफगानिस्तान | 3.294 |
5 | यूक्रेन | 3.28 |
6 | कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य | 3.264 |
7 | रूस | 3.249 |
8 | सीरिया | 3.173 |
9 | इजरायल | 3.115 |
10 | माली | 3.095 |
सबसे खतरनाक देशों के बारे में जानिए
यमन
दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में सबसे टॉप पर यमन है. इसका जीपीआई स्कोर 3.397 है. सूडान में साल 2015 में गृह युद्ध की शुरुआत हुई थी और उसके बाद से यह देश लगातार अराजकता में डूबा है. साथ ही यहां पर अकाल और भुखमरी ने हालात को और बिगाड़ दिया है.
सूडान
सबसे खतरनाक देशों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर सूडान है. सूडान में चल रहे संघर्ष के कारण करीब 3 हजार लोगों की मौत हो गई और करीब 20 लाख लोगों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा है. यहां के डारुर, दक्षिण कोर्डोफन और ब्लू नाइल जैसे इलाकों में छिड़े संघर्ष ने आम लोगों का जीवन दूभर कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, सूडान में करीब 1.4 करोड़ लोगों को तुरंत मानवीय सहायता की जरूरत है.
दक्षिणी सूडान
दक्षिणी सूडान का हाल भी यमन और सूडान से ज्यादा अच्छा नहीं है. यह दुनिया का तीसरा सबसे खतरनाक देश है और इसका जीपीआई स्कोर 3.324 है. दक्षिणी सूडान 2011 में स्वतंत्र हुआ था और उसके बाद से ही यहां पर संघर्ष जारी है.
अफगानिस्तान
अमेरिका ने 2021 में अफगानिस्तान छोड़ दिया था और उसके बाद से ही वहां पर तालिबान की सत्ता है. तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान के हालात और खराब हुए हैं. यह दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में चौथे नंबर पर है. आम लोगों पर कई तरह की पाबंदियां हैं और आतंकवाद भी यहां पर चरम पर है.
यूक्रेन
यूक्रेन पर फरवरी 2022 में रूस के आक्रमण के बाद इस देश की तस्वीर काफी बदल चुकी है. यूक्रेन में 2024 तक डेढ़ लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. साथ ही बुनियादी ढांचे को भी जबरदस्त नुकसान हुआ है. व्यापक पैमाने पर घर, स्कूल और अस्पताल जमींदोज हो चुके हैं. यूक्रेन दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में पांचवें नंबर पर है.
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य भी एक बेहद अशांत देश है. यह दुनिया का छठा सबसे खतरनाक स्थान है. यहां पर दो विद्रोही समूहों मार्च 23 मूवमेंट और एलाइड डेमोक्रेटिक फोर्सेस और सरकारी सैनिकों के बीच लड़ाई तेज हो गई है. इससे आम नागरिकों को खतरे का सामना करना पड़ रहा है. जून में एलाइड डेमोक्रेटिक फोर्सेस के विद्रोहियों ने करीब 100 ग्रामीणों का नरसंहार कर दिया था.
रूस
यूक्रेन के साथ युद्ध की कीमत रूस भी चुका रहा है. इस इंडेक्स के मुताबिक, रूस दुनिया का सातवां सबसे खतरनाक देश है. यहां पर संगठित अपराध और भ्रष्टाचार के साथ ही औद्योगिक दुर्घटनाओं की आशंका और प्रदूषण जैसी समस्याएं आबादी के लिए बड़ा जोखिम पैदा कर रही है.
सीरिया
सीरिया काफी वक्त से दुनिया के सबसे खतरनाक देशों की सूची में बना हुआ है. यह दुनिया का आठवां सबसे खतरनाक देश है. सीरिया में 2011 में गृह युद्ध की शुरुआत हुई थी और उसके बाद से ही देश के लोगों का हाल बेहाल है. यहां पर 1.3 करोड़ लोगों को सहायता की जरूरत है. वहीं 66 लाख लोगों को देश में ही विस्थापित होना पड़ा है. साथ ही युद्ध के कारण बुनियादी ढांचे को व्यापक रूप से नुकसान पहुंचा है और घर, स्कूल और अस्पताल नष्ट हो चुके हैं.
इजरायल
इजरायल और हमास के बीच बीते 10 महीने से संघर्ष जारी है. वहीं ईरान समर्थित हिजबुल्लाह भी इजरायल के खिलाफ हमले कर रहा है. ऐसे में इस इंडेक्स में इजरायल दुनिया का नौंवा सबसे खतरनाक देश बना हुआ है.
माली
माली दुनिया का दसवां सबसे खतरनाक देश है, जहां पर 2012 से सुरक्षा, राजनीति और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले संकट में घिरा हुआ है. स्वतंत्रता विद्रोह, जिहादी घुसपैठ और अंतर-सामुदायिक हिंसा के कारण हजारों लोग मारे गए हैं और लाखों लोग विस्थापित हुए हैं.
किस तरह से काम करता है ग्लोबल पीस इंडेक्स
ग्लोबल पीस इंडेक्स दुनिया के 163 देशों को सुरक्षा और स्थिरता के आधार पर आंकता है. ऐसे 23 ऐसे संकेतक हैं, जिनके आधार पर यह किसी भी देश के शांत और अशांत होने के बारे में बताता है. इनमें युद्ध, सामाजिक सुरक्षा, सैन्यीकरण का स्तर जैसे संकेतक शामिल हैं. यह विभिन्न देशों को लेकर एक वार्षिक रिपोर्ट जारी करता है.