अल्जाइमर के इलाज के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजे नए मोलिक्यूल-शोध
Alzheimer Disease: अल्ज़ाइमर रोग, मस्तिष्क से जुड़ी एक बीमारी है, जिससे याददाश्त और सोचने की क्षमता धीरे-धीरे कमज़ोर होती जाती है. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान अगरकर अनुसंधान संस्थान, पुणे के वैज्ञानिकों ने नए मोलिक्यूल (अणु) विकसित किए हैं जो अल्जाइमर रोग का इलाज कर सकते हैं. टीम ने सिंथेटिक, कम्प्यूटेशनल और इन-विट्रो अध्ययनों के माध्यम से नए गैर-विषाक्त अणुओं को डिजाइन और संश्लेषित किया जो न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों के उपचार में फायदेमंद हो सकते हैं. कुछ हार्मोनों में असंतुलन के कारण होने वाला अल्जाइमर रोग मनोभ्रंश का सबसे आम रूप है तथा यह सभी डिमेंशिया मामलों का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा है.
आपको बता दें कि दुनिया भर में मनोभ्रंश से पीड़ित लगभग 5.5 करोड़ लोगों में से, 60 से 70 प्रतिशत को अल्जाइमर होने का अनुमान है. अगरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम ने नए मोलिक्यूल्स (अणुओं) को उत्पन्न करने के लिए हाई सिंथेटिक यील्ड्स के साथ एक तेज एक-पॉट, तीन-घटक प्रतिक्रिया विकसित की. इन-विट्रो स्क्रीनिंग विधियों का उपयोग करके उन्होंने इन अणुओं की शक्ति और साइटोटॉक्सिसिटी का आकलन किया.
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टीम ने कहा, “अणु नॉन-टॉक्सिक और कोलिनेस्टरेज एंजाइमों के खिलाफ प्रभावी पाए गए.” टीम ने कहा कि प्रभावी अणुओं ने आणविक गतिशीलता सिमुलेशन के दौरान अमीनो एसिड के साथ संपर्क में आने पर एंजाइमों के पैक में अच्छी स्थिरता भी दिखाई है. शोधकर्ताओं ने कहा कि ये अणु अच्छे दोहरे कोलीनेस्टेरेज अवरोधक साबित हुए हैं. इन्हें और अधिक प्रभावी एंटी-एडी लिगैंड विकसित करने के लिए अनुकूलित किया जा सकता है.
कोलिनेस्टरेज अवरोधक दवाओं का एक समूह है जो शरीर में एसिटाइलकोलाइन नामक रासायनिक संदेशवाहक की उपलब्धता बढ़ाता है जो याददाश्त के लिए महत्वपूर्ण है. इन दवाओं का उपयोग अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है. शोधकर्ताओं ने कहा, ”इन अणुओं का उपयोग अन्य दवाओं के साथ संयोजन में एडी के उपचार हेतु दोहरी एंटी कोलीनेस्टेरेस दवाओं को विकसित करने के लिए किया जा सकता है.”