मदरसों को राज्य से मिलने वाला पैसा बंद हो, बाल आयोग की चिट्ठी से मचा हड़कंप
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने केंद्र और सभी राज्यों की सरकारों को पत्र लिखते हुए कहा है कि मदरसों को फंड देना बंद कर दिया जाए. साथ ही इन्हें भंग करने की भी अपील की है. इस रिपोर्ट पर अखिलेश यादव ने भी तंज कसा है. देखिए ये रिपोर्ट.
राष्ट्रीय बाल आयोग की रिपोर्ट कहती है कि मदरसों में पर्याप्त सुविधाएं और प्रशिक्षित शिक्षक नहीं हैं जिसको लेकर अखिलेश यादव ने भाजपा पर अल्पसंख्यक संस्थानों को निशाना बनाने का आरोप लगाया.
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार की एक योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2019-20 में मदरसों को शिक्षा के लिए 120 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जिससे मान्यता प्राप्त मदरसों को सहायता प्राप्त हो.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा, अखिलेश जी भाग्यशाली हैं कि उनके स्वर्गीय पिताजी ने उन्हें स्कूल में पढ़या और उनके बच्चे भी भाग्यशाली हैं जिन्हें वह स्कूल में पढ़ा रहे हैं. अगर उन्हें लगता है कि मदरसा की पढ़ाई इतनी अच्छी है तो अपने बच्चों को भी उसी में पढ़ाते. वे अनसाइंटिफिक चीज पढ़ाते है, जैसे धरती चपटी है, सूरज पृथ्वी के चक्कर लगाता है, बच्चों को एक वक्त में तीन थप्पड़ मारना जायज है, बच्चा चाहे तो कयामत के दिन इसका बदला ले, अगर नाबालिग के साथ सेक्स कर लिया है तो यह प्रिकॉशन आजमाने हैं, तरीके बताते हैं नाबालिग के साथ सेक्स करने के एकदम ही गंदी चीज हैं…..
रिपोर्ट में सरकार से फंडिंग के अलावा भी और तरीको से फंडिंग का उल्लेख किया गया है और आरोप है कि उस फंडिंग का इस्तेमाल मदरसों में नहीं किया जाता है.
जनगणना 2011 के अनुसार मुस्लिम परिवारों द्वारा अनुमानित 8,106 करोड़ रुपए से अधिक दान किए गए.
.साल 2023 में ईद उल फितर में मुस्लिम परिवारों द्वारा अनुमानित राशि 985 करोड़ जमा किए गए.
.ईद में पशु की कुर्बानी के बाद उसकी चमड़ी को बेचा जाता है और उसकी अनुमानित राशि 450 करोड बताई गई है. वक्फ संपत्तियों से उत्पन्न आय 1,20,000 करोड़ रुपये है.
जमात-ए-इस्लामी हिन्द के एक डायरेक्टर ने बाल आयोग की रिपोर्ट को गलत बताया और कहा कि लगता है कि बाल आयोग किसी राजनीतिक दल को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा कर रही है.
बाल आयोग की इस रिपोर्ट के बाद से राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. कई विपक्षी दल बीजेपी को इसका जिमेदार ठहरा रहे है. लेकिन देखना ये होगा कि क्या सरकार बाल आयोग कि इस सिफारिश को पूरा करती है या नही.