हरियाणा की राह पर चलेगा महाराष्ट्र? चुनाव से पहले शिंदे-फडणवीस-अजित सरकार ने चला मास्टरस्ट्रोक
Maharashtra Can Repeat Haryana Election Result: लोकसभा चुनावों में भाजपा को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा में लगा. इसके बाद से इन राज्यों को लेकर भाजपा में चिंता बढ़ गई थी. 2014 के बाद से ये राज्य भाजपा के पक्ष में रहे हैं, लेकिन लोकसभा चुनावों में भाजपा का यहीं प्रदर्शन खराब हो गया. हरियाणा में तो भाजपा ने अपने वोट बैंक को सहेजने के साथ ही तीसरी बार सरकार भी बना ली. यूपी के चुनाव में अभी समय है. हालांकि, वहां भी उपचुनाव को लेकर भी भाजपा ने पूरा जोर लगा रखा है. मगर सारा ध्यान महाराष्ट्र पर है.यही कारण है चुनाव से ऐन पहले महाराष्ट्र सरकार की कैबिनेट ने बड़े ऐलान कर दिए हैं.इसमें केंद्र सरकार से ‘क्रीमी लेयर’ श्रेणी में शामिल होने के लिए आय सीमा को मौजूदा ₹ 8 लाख से बढ़ाकर ₹ 15 लाख प्रति वर्ष करने का अनुरोध करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया है.ओबीसी श्रेणी में आरक्षण लाभ प्राप्त करने के लिए एक गैर-क्रीमी लेयर प्रमाणपत्र की आवश्यकता होती है
इसके साथ ही कैबिनेट ने महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए एक मसौदा अध्यादेश को मंजूरी दे दिया है. बयान में कहा गया है कि अध्यादेश राज्य विधानमंडल के अगले सत्र में पेश किया जाएगा और पैनल के लिए 27 पदों को मंजूरी दी गई है.
इन आदेशों से साफ दिखाई पड़ता है कि भाजपा ने चुनावी रणनीति बना ली है. भाजपा की अगुआई वाली महायुति के मुकाबले वहां महा विकास अघाड़ी गठबंधन है.इसमें कांग्रेस, राकांपा का शरद पवार गुट और शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुट शामिल हैं. लोकसभा चुनाव में इसने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 30 सीटें जीतकर सत्तारूढ़ गठबंधन को चौंका दिया था. भाजपा पिछले आम चुनाव में 23 सीटें जीती थी, मगर इस बार वह केवल नौ पर सिमट गई. अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा केवल एक सीट जीतने में सफल रही.
हरियाणा में भी ऐसा ही हुआ था
महा विकास अघाड़ी की बड़ी जीत के लिए जिम्मेदार कारणों में से एक यह था कि उसने जातिगत समीकरणों को साध लिया था. गुरुवार के कैबिनेट फैसलों को इसमें सेंध लगाने के एक तरीके के रूप में देखा जा रहा है. हरियाणा में चुनाव से पहले राज्य सरकार ने क्रीमी लेयर की सीमा 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 लाख रुपये कर दी थी. इसका नतीजा ये हुआ कि पार्टी को एग्जिट पोल के पूर्वानुमानों को खारिज कर और सत्ता विरोधी लहर को मात देकर 48 सीटें मिलीं.