दिल छू लेते थे रतन टाटा…जब अपने बीमार कर्मचारी का हालचाल लेने मुंबई से पुणे चले आए थे
Ratan Tata Death: पद्म भूषण और विभूषण रतन टाटा (Ratan Tata) अब नहीं रहे. यह जानकर उनके करोड़ों चाहने वालों को झटका लगा है. रतन टाटा न सिर्फ समाज के लिए बल्कि जानवरों के साथ भी काफी अच्छा व्यवहार करते थे. अपने कर्मचारियों का तो वो इतना ध्यान रखते थे कि देश में कहा जाता था कि टाटा की नौकरी मतलब सरकारी नौकरी से भी ज्यादा अच्छी.
क्यों कहा जाता है ऐसा?
ये बातें यूं ही नहीं की जाती. रतन टाटा अपने कर्मचारियों की तनख्वाह से लेकर उनके हेल्थ और उनके परिवार तक के लिए खासा ध्यान देते थे. रहने के लिए घर, बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल और बीमार होने पर इलाज के लिए अस्पताल तक की टाटा समूह अपने कर्मचारियों के लिए व्यवस्था करता है. इसके अलावा खुद रतन टाटा अपने कर्मचारियों का हाल-चाल लेते रहते थे.
रतन टाटा ने किया था ऐसा
अभी 2021 की ही बात है. रतन टाटा को पता चला कि उनका एक पूर्व कर्मचारी दो सालों से बीमार है. यह सुनकर वो उससे मिलने के लिए मुंबई से पुणे पहुंच गए.वो भी 83 साल की उम्र में.सोचिए जब वे जवान रहे होंगे तो किस हद तक कर्मचारियों की मदद करते होंगे. रतन टाटा इन सब बातों की कभी चर्चा नहीं करते थे. न ही उनकी कंपनी की तरफ से इस तरह की बातें बताईं जाती थीं. ये तो सोशल मीडिया का जमाना है तो हर कोई जानकारी साझा कर रहा है.
ऐसे पता चला
उस पूर्व कर्मचारी के एक करीबी ने रतन टाटा की मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा कर दी और देखते ही देखते वो वायरल हो गई. लोग रतन टाटा की तारीफ करते नहीं थक रहे थे. यहां तक की अपनी कंपनी के मालिकों की उनसे तुलना कर शिकायतें करने लगे.रतन टाटा बेहद सादगी से रहा करते थे. यहां तक की उन्होंने अपने सभी कर्मचारियों को निर्देश दे रखा था कि अगर कंपनी में कोई भी जानवर घुस जाए तो उसे भगाया न जाए. यहां तक की मुंबई वाले उनके वर्ल्ड क्लास ताज होटल में भी आवारा जानवरों के घुसने पर भी प्रतिबंध नहीं था.
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