पिता BJP में, बेटा इनेलो से उम्मीदवार… नूंह के सियासी परिवार में क्या हो गई बगावत?
हरियाणा में मेवात जिले के नूंह में इस बार दिलचस्प चुनावी दंगल देखने को मिल रहा है. मेवात में तैय्यब हुसैन के सियासी परिवार के वारिस ताहिर हुसैन इनेलो के टिकट पर नूंह से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि पिता जाकिर हुसैन बीजेपी की हरियाणा सरकार में वफ्फ बोर्ड के प्रशासक हैं. नूंह के सियासी परिवार में ये बगावत चर्चा का विषय बनी हुई है. हालांकि, बेटे ताहिर हुसैन के चुनाव प्रचार में पिता जाकिर हुसैन खुले तौर पर नहीं दिख रहे हैं. लेकिन ताहिर हुसैन का कहना है कि पिता की इजाजत के बाद ही वह चुनावी दंगल में उतरे हैं.
पिता का आशीर्वाद मेरे साथ
ताहिर हुसैन का कहना है कि वह पिता का आशीर्वाद लेकर ही चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारा परिवार 1923 से ही देश की सेवा करता रहा है. इसके साथ-साथ ही इलेक्टोरल पॉलिटिक्स में भी हम रहे हैं. इसी कड़ी में आज में राजनीति के दंगल में खड़ा हूं. हमारे वालिद साहब 36 बिरादरी के चौधरी हैं. इस कम्यूनिटी की जब आवाज आई कि इस क्षेत्र के लिए एक युवा चेहरे की जरूरत है. इसके बाद उन्होंने चौधरी साहब से कहा कि हमें ताहिर दे दीजिए. इसके बाद उन्होंने फैसला नूंह की जनता पर छोड़ दिया. आज उन्हीं के आशीर्वाद की वजह से मैं इनेलो के उम्मीदवार के रूप में आपके सामने बैठा हूं.’
‘बाप-बेटे, तो बाप-बेटे ही रहेंगे…’
क्या पिता जाकिर हुसैन भी उनके लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं? इस सवाल के जवाब में ताहिर मुस्कुराते हुए कहते हैं, ‘देखिए, बाप-बेटे, तो बाप-बेटे ही रहेंगे… इसमें तो कोई शक ही नहीं है और जहां तक प्रचार की बात है, तो क्या कभी कोई बाप किसी बेटे से दूर हो सकता है?’
मेवात की जनता कर रही मेरा चुनाव प्रचार
ताहिर के पिता पर उठ रहे सवालों पर वह कहते हैं, ‘यह इस चुनाव की खासियत है. अगर आप दो दिन पहले तक का भी मेवात का माहौल जानना चाहेंगे, तो आपको मालूम पड़ेगा कि मेरा चुनाव प्रचार यहां की जनता कर रही है. मेवात का हर युवा यहां से मेरे लिए लड़ रहा है. मेवात की आवाम ही इस चुनाव प्रचार को संभाले हुए है, इससे बड़ा आशीर्वाद मेरे लिए क्या हो सकता है.’
10 साल से विकास की राह देख रहा नूंह
नूंह में पिछले साल सांप्रदायिक हिंसा हुई, अभी पिछले काफी समय से यहां विकास के काम रुके से हुए हैं. सड़के टूटी हुई हैं… कई जगहों पर पानी भरा हुआ है. इसकी क्या वजह है, ‘देखिए, सुधार की हमेशा उम्मीद होती है. वहीं, काम की बात करें, तो मेरे परदादा ने सबसे पहले गुड़गांव कैनाल निकलवाने का काम किया था. वहीं, किसी भी क्षेत्र के विकास में सूबे के मुख्यमंत्री का बहुत बड़ा हाथ होता है. हमारे क्षेत्र का सबसे ज्यादा विकास पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल के शासनकाल में हुआ था. उन्होंने हरियाणा की नींव भी रखी थी. लेकिन पिछले 10 साल से यहां विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ है.’
मेवात में जाति से नहीं, गोत नाथ से होती है पहचान
मेवात में हिंसा की घटनाओं को लेकर ताहिर हुसैन कहते हैं, ‘यहां कभी भी जाति की हिंसा नहीं होती है. यहां किसी सांप्रदाय के नाम पर लोगों के बीच भेदभाव नहीं किया जाता है. यहां लोगों की पहचान गोत नाथ से होती है. ये एक-दूसरे को भाईचारे की भावना से जोड़ता है. हां, बीच-बीच में कुछ घटनाएं यहां हुईं, जिससे विश्व स्तर पर यहां की बदनामी हुई. लेकिन उन घटनाओं के पीछे कुछ चंद लोगों का हिडन एजेंडा रहा है.’
चौटाला परिवार के बीच टकराव की बातों पर ताहिर हुसैन कहते हैं, ‘हरियाणा के दो कोने हैं. पहला मेवात और दूसरा छोर डबवाली… मैं तो यह समझता हूं कि आज इंडियन नेशनल लोकदल और बहुजन समाज पार्टी की लहर चल रही है. इसलिए हम यहां सरकार बनाने जा रहे हैं.’