कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उनके आरक्षण विरोधी माने जाने वाले बयानों पर आलोचना हो रही है. इस बीच बुधवार को उन्होंने स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि उनकी पार्टी “आरक्षण को 50 प्रतिशत की सीमा से आगे ले जाएगी.” उन्होंने कहा है कि, “कल किसी ने मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया कि मैं आरक्षण के खिलाफ हूं. लेकिन मैं यह स्पष्ट कर दूं, मैं आरक्षण के खिलाफ नहीं हूं. हम आरक्षण को 50 प्रतिशत की सीमा से आगे ले जाएंगे.”
राहुल गांधी ने अमेरिका में नेशनल प्रेस क्लब में एक इंटरव्यू के दौरान यह बात कही. विवाद का कारण बनी उनकी टिप्पणी कल वाशिंगटन डीसी में जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत के दौरान की गई थी.
उन्होंने कहा था कि कांग्रेस “जब भारत एक निष्पक्ष जगह होगी, तब आरक्षण को समाप्त करने के बारे में सोचेगी.” उन्होंने कहा कि भारत इस समय एक निष्पक्ष जगह नहीं है. गांधी ने कहा था कि “बड़ी बात यह है कि भारत के 90 प्रतिशत लोग – ओबीसी, दलित और आदिवासी इस खेल में शामिल नहीं हैं.”
उन्होंने कहा, “जाति जनगणना यह जानने का एक सरल अभ्यास है कि निचली जातियां, पिछड़ी जातियां और दलित किस तरह से भारत के टॉप 200 व्यवसायों की व्यवस्था में एकीकृत हैं. भारत की 90 प्रतिशत आबादी के पास लगभग कोई स्वामित्व नहीं है. देश की सबसे बड़ी अदालतों में भारत के 90 प्रतिशत लोगों की लगभग कोई भागीदारी नहीं है. मीडिया में, निचली जातियों, ओबीसी, दलितों की शून्य भागीदारी है.”
जाति जनगणना के पीछे के विचार को समझाते हुए उन्होंने कहा, “हम यह समझना चाहते हैं कि उनकी सामाजिक और वित्तीय स्थिति कैसी है…हम भारतीय संस्थानों को भी देखना चाहते हैं ताकि इन संस्थानों में भारत की भागीदारी का अंदाजा लगाया जा सके.”
उक्त मुद्दे सहित अन्य मुद्दों पर राहुल गांधी की टिप्पणियों से विवाद शुरू हो गया है. बीजेपी ने उन पर विदेश में आदतन राष्ट्र विरोधी टिप्पणी करने का आरोप लगाया है. पार्टी ने कहा है कि अब जब वे विपक्ष के नेता हैं, तो यह और भी गंभीर मुद्दा है. केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा, “राहुल गांधी का बयान क्षेत्रवाद, धर्म और भाषाई मतभेदों के आधार पर दरार पैदा करने की कांग्रेस की राजनीति को उजागर करता है.”
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