खसरा, रकबा, नक्शा…बिहार में 22 फॉर्म से नाम पर पक्की होगी जमीन, जानिए इससे जुड़ी हर जानकारी
बिहार सरकार राज्य भर में जमीन का सर्वे कराने के काम को युद्ध स्तर पर पूरा करने में लगी है. जमीन के सर्वे का यह काम बीते दो साल से चल रहा था लेकिन इसे पूरा करने को लेकर अब गति को तेज कर दिया गया है. कहा जा रहा है कि बिहार में जमीन का सर्वे कराने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि अब तक ऐसा देखा जा रहा था कि आपराधिक घटनाओं के पीछे जमीन को लेकर होने वाला विवाद भी सबसे अहम वजहों में से एक रहा है. बिहार सरकार का मानना है कि इस सर्वे के पूरा होने के बाद जमीन से जुड़े विवाद के 95 फीसदी मामलों में कमी आ सकती है.
बिहार सरकार जमीन के रिकॉर्ड को दुरुस्त करने के लिए GIS मैपिंग जैसी तकनीक का भी इस्तेमाल कर रही है. साथ ही साथ सरकार स्थानीय लोगों से उनकी राय लेने के बाद ही इस रिकॉर्ड को अपडेट कर रही है. इस प्रक्रिया को पूरा करने का सबसे अहम पहलू है ग्राम सभा. सरकार इन्हीं ग्राम सभाओं की मदद से स्थानीय लोगों के जमीन से जुड़े दस्तावेजों की जांच हो रही है. इसके बाद करीब 20 स्तर पर जांच पूरी होने के बाद ही संबंधित जमीन के असल मालिक की पहचान करने के साथ उसे रिकॉर्ड में अपडेट किया जाएगा.
आखिर क्यों पड़ी इस सर्वे की जरूरत
बिहार के भागलपुर जिले के नवगछिया में आयोजित एक ग्राम सभा में स्थानीय लोगों के दस्तावेजों की जांच कर रहे बंदोबस्त कार्यालय के प्रभारी पदाधिकारी कुमार कुंदन लाल ने इस सर्वे को लेकर NDTV से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि गांव में लोगों को पता है कि खतियान उनका मुख्य दस्तावेज है. और बिहार में कई जगह पर जो खतियान इस्तेमाल में लाया जा रहा है वो सन 1910 तक का है जबकि कई जगह पर 1970 और 1980 का भी इस्तेमाल में लाया जा रहा है. जब खतियान पुराना हो जाता है तो उस जमीन के कई दावेदार हो जाता है. ये होता इसलिए है क्योंकि परिवार कई हिस्सों में बंट जाते हैं. अब उनके नाम से खतियान नहीं होता है तो उन्हें दिक्कत शुरू हो जाती है और जमीन को लेकर विवाद शुरू हो जाता है.
राज्य सरकार ने अब ये फैसला लिया है कि हम अब नया खतियान बना देंगे जिससे की विवाद कम हों. इस पूरी प्रक्रिया का मकसद जमीन के विवाद को कम करने के साथ-साथ जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटलाइज करना भी है. इस सर्वे के बाद अब जो खतियान तैयार होगा वो ना सिर्फ पेपर पर होगा बल्कि वो ऑनलाइन भी उपलब्ध होगा. अब चाहे खसरा में बदलाव करना है, प्लॉट में बदलाव करना है, उसके रकवा में बदलाव करना है या फिर उसके नक्शे में बदलाव करना है, तो हर चीज ऑनलाइन ही हो जाया करेगी.
फॉर्म 1 से लेकर फॉर्म 22 तक में पूरा किया सर्वे का काम
अधिकारी ने बताया कि इस सर्वे को पूरा करने के लिए फॉर्म संख्या 1 से लेकर फॉर्म संख्या 22 तक की प्रक्रिया को पूरा करना होगा. फॉर्म संख्या 22 की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही नए खतियान की प्रक्रिया को भी पूरा कर लिया जाता है. फॉर्म संख्या एक के तहत इस बात की घोषणा की करते हैं कि सरकार की तरफ से कुछ लोग आपके गांव में आकर आपकी जमीन की नपाई करेंगे. लिहाजा, आप लोग समय रहते ही अपनी जमीन में जो सुधार कराना चाहते हैं वो खुद ही कर लें. फॉर्म संख्या 2 में जमीन के मालिक खुद से ही घोषणा करके उस जमीन का विवरण सरकारी अधिकारियों को उपलब्ध कराएंगे.
वहीं, फॉर्म संख्या तीन के तहत जमीन के मालिक से उनकी वंशावली मांगी जाएगी. ताकि ये पता चल सके कि जब उस जमीन की खरीद की गई थी तो उस समय उसके मालिक कौन थे, और अब उनसे मौजूदा मालिक का क्या रिश्ता है. वंशावली की पहचान करने के बाद जिन लोगों की मृत्यु हो चुकी है उनकी जगह पर मौजूदा समय में जो जिंदा है उनके नाम पर खतियान जारी किया जाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इसी तरह से आगे की प्रक्रियाओं को भी पूरा किया जाएगा.
जमीन विवाद को दूर करना है मकसद
कुमार कुंदन लाल ने बताया कि सरकार के इस सर्वे का एक बड़ा मकसद है जमीन को लेकर होने वाले विवाद को खत्म करना. हम जैसे ही जमीन को लेकर तमाम रिकॉर्ड्स को अपडेट कर देंगे वैसे ही जमीन के असली मालिक की पहचान हो जाएगी और जमीन को लेकर होने वाले विवाद में कमी आएगी.
डिजिटल डेटा से भी होगी लोगों की मदद
बिहार सरकार अपनी इस पहल से जमीन को लेकर तमाम रिकॉर्ड्स को ऑनलाइन उपलब्ध कराने की योजना है. इस सर्वे के तहत पहले जमीन के मौजूदा और वास्तविक मालिक की पहचान की जाएगी और उसके बाद उस जमीन से जुड़ी तमाम जानकारियों को बिहार सरकार की साइट पर अपडेट कर दिया जाएगा. यानी इस सर्वे के पूरा होने के बाद अब कोई भी अपने जमीन का रिकॉर्ड ऑनलाइन ही देख पाएगा.
दस्तावेज जमा कराने के लिए एक साल का मिलेगा समय
इस सर्वे के तहत जिन भी लोगों के पास अपने जमीन के दस्तावेज नहीं है उनके पास संबंधित दस्तावेज को जमा कराने के लिए एक साल का समय होगा. कहा जा रहा है सरकार इस सर्वे को अगले एक साल में पूरा कर सकती है. ऐसे में अगर किसी शख्स के पास कोई जरूरी दस्तावेज जैसे वंशावली या जमीन से जुड़े अन्य कागजात ना हों तो वह अगले एक साल में अपने ब्लॉक में जाकर उस कागजात को बनवा सकता है. (सभी तस्वीरें AI जेनरेटेड है)